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Monday, January 13, 2025

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सहज योग की सृजनता और देवत्व को प्राप्त करने का पर्व है: मकर संक्रांति

मकर संक्रांति एक ऐसा शुभ दिन है जिस दिन पूरे भारतवर्ष में खुशियां मनाई जाती है |इसका कारण यह है कि सूर्य जो मकर व्रत पर गया था वह अब वापस लौट कर आया है जिसे हम सूर्य का उत्तरायण होना भी कहते हैं |अब खाद्यान्न और वनस्पतियों के लिए भी एक अच्छा समय आ जाता है| जो पेड़ पौधे ठंड में मरे जैसे हो गए थे अब वह पुनः जागृत हो गए और उनमें हरियाली आने लग गई |पृथ्वी हरी भरी हो जाती है इसलिए सूर्य के आगमन को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है|
जिस प्रकार सूर्य का आगमन महत्वपूर्ण है उसी प्रकार सहज के सूर्य का आना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सृष्टि की जो भी रचना और सृजनता है, गतिविधियां हैं उन्हें सूर्य चालना देते हैं, प्लावित करते हैं्| इसी प्रकार परम चैतन्य की सृजन शक्ति को चालना सहज योग से मिलती है|* सहज के सूर्य के जाग्रत होने से हमारे अंदर प्रकाश आ गया |हमारी कुंडलीनि जागृत हो गई और यह सृजन भूमि भी हरी हो गई्| इसी के साथ-साथ संसार में जो कुरीतियां हैं, आसुरी शक्तियां हैं वह भी नष्ट होने लगती है| जैसे सूर्य के आने से सारा अंधकार नष्ट हो जाता है वैसे ही सहज योग के सूर्य का प्रकाश आने पर संसार से अज्ञानता और दुष्टता का अंधकार भी दूर हो जाता है| तो हमें भी अपने अंदर के अंधकार को इस प्रकाश में दूर कर लेना चाहिए्| हम सब सहज योग की दिव्यता और महत्व को जानते हैं तो यदि हमें ऊंची उड़ान भरनी है तो हमारे अंदर के कुसंस्कारों, अहंकार को छोड़ देना चाहिए्| यदि हम इन कुसंस्कारों ,कर्मकांडों को नहीं छोड़ेंगे तो हम आधे अधूरे रह जाएंगे और कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएंगे|
सहज योग एक आईने की तरह है जिसमें हम अपने सारे दोष देख सकते हैं्| यह हमारे जन्म-जन्मांतर के पुण्य कर्म है जिससे हम परमात्मा के साम्राज्य में सहज योग के माध्यम से आए हैं्| इसलिए सारी अशुद्ध इच्छाओं को त्याग कर सारे बोझ हटा दे क्योंकि परमात्मा के साम्राज्य में भी सीमित जगह है| हम स्वयं को देखना सीखें |हर साल, हर दिन हम स्वयं को देखें कि हमारी कितनी प्रगति हुई है |पिछले वर्ष जो कमियां थी क्या वह इस वर्ष दूर हो गई हैं? हम बहाने ना बनाएं और उन्नत होने के लिए हृदय से प्रयास करें्| जब हम उस स्थिति में पहुंच जाते हैं जहां हम परम को प्राप्त कर लेते हैं तो हमारी सारी परेशानियां, बीमारियां दूर होने लगती हैं्| फिर हर एक काम अपने आप बनने लगते हैं |तो आइए मकर संक्रांति के दिन से ही हम यह प्रण करें की देवत्व को प्राप्त करने के लिए मनुष्य की जो जटिलताएं हैं उन्हें हम धिक्कार दें,छोड़ दें्| इस देवत्व को हम प्राप्त करें जिससे हर चीज जिसे हम छुएं, वह हर कार्य जो हम करें चैतन्यमय और पोषित हो जाए और हमारा जीवन भी सुंदर, आदर्श ,प्रेममय आनंददाई और उच्च कोटि का हो जाए |

मंजूषा खरे

सहजयोग ध्यान केंद्र रीवा
मध्यप्रदेश

Mo.8319085686
9425862930

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