मनिषा थिगळे
नागपूर
Mo.9175733671
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने २१ दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया, भारतव्दारा सह प्रयायोजित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया, श्री हरीश ने बताया की २१ दिसंबर शीतकालीन संक्राति का दिन है, जो भारतीय परंपरा के अनुसार ‘उत्तरायण’ , वर्ष का एक शुभसमय विशेष रूपसे आंतरिक चिंतन, अपने ‘स्व की खोज’ आत्मा की खोज, अर्थात ध्यान की शुरूवात है |
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसोदा प्रस्ताव को सह प्रायोजित किया था, जिसे सर्वसमत्ती से २१ दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करने के लिये अपनाया गया था |
लिंकटेस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा सहित भारत उन देशो के मुख्य समुह का सदस्य था, जिसने शुक्रवार (६ दिसंबर २०२४) को १९३ सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्वध्यान दिवस’शीर्षक प्रस्ताव को सर्वसम्मती से अपनाने का मार्गदर्शन किया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधी राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि समग्र मानव कल्याण में भारत का नेतृत्व हमारी सभ्यतागत कहावत ‘वसुधैव कुटुंम्बकम’ पूरा विश्व एक परिवार है, से उपजा है |
योग भारत की प्राचिन परंपरा है, और ‘ध्यान’ अष्टांगयोग का एक प्रमुख अंग है, जिसके माध्यम से शारीरिक, मानसिक, भावनिक और आध्यात्मिक सुंतलन पाया जा सकता है | विश्व के सभी देशो में शांती और सौहार्द की भावना, प्रस्थापित कि जा सकती है |
श्री हरीश ने स्मरण किया कि भारत ने २०१४ में २१ जून को ’आंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित करने में अग्रणी भूमिका निभायी थी |
उन्होंने कहा की एक दशक में यह वैश्विक आंदोलन बन गया है, जिसके कारण विश्वभर में आम लोग योग का अभ्यास कर रहे है और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना रहे है |
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन व्दारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहां गया कि विश्व ध्यान दिवस प्रस्ताव को अपनाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका समग्र मानव कल्याण और इस मोर्चे पर वैश्विक नेतृत्व के प्रति इसकी दृढ प्रतिबद्धता का प्रमाण है |
भारतीय मिशन ने कहॉं, ‘‘आधुनिक विज्ञान’ ध्यान के अनगिनत लाभो और हमारे जीवन पर इसके प्रभाव को प्रमाणित करता है | यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चूका है की नियमित ध्यान तणाव को काफि हद तक कम करता है , और संज्ञानात्मक और शारीरिक कार्यो को बढाता है |
परमपूज्य श्री माताजी प्रणित सहजयोग विश्व के १२० देश में प्रसारित हुआ है, यह ध्यान प्राचिन भारतीय परंपरागत ध्यान पद्धती पर आधारित है और कोरोना महामारी के समय विश्वभर में सर्वाधिक प्रसिद्ध होने के कारण इसे विविध आवार्ड से नवाजा गया है | उल्लेखनीय है की इस ध्यान पर वैद्यकीय, साहित्यिक ,शोध प्रबंध प्रस्तुत किये गये है और मानवी जीवन के ताण तणाव को, शारीरिक व्याधीयो को दूर करने में कारागर साबित हो रहा है |
जय श्री माताजी