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Sunday, May 18, 2025

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रचनात्मकता व प्रेम एक दूसरे के पूरक-यथार्थ अभिव्यक्त होता सहज योग से|

निर्मला नायर
नागपूर (महाराष्ट्र)

Mo.9422304934
हमारे सुक्ष्म शरीर का तीसरा चक्र शुद्ध विद्या, शुद्ध चित्त, रचनात्मकता व प्रेम का चक्र है| प्रेम का रचनात्मकता से गहन संबंध है| तिसरे चक्र को स्वाधिष्ठान चक्र कहते हैं्| इस ्चक्र के बांई ओर शुद्ध विद्या (निश्छल प्रेम ) की दाहिनी ओर निर्मल चित्त का और मध्य में छ: पंखूडियों पर ब्रम्हदेव और मां सरस्वती का स्थान है| जब हमारा स्वाधिष्ठान चक्र संतुलित होता है, तो हम अत्यधिक सोच-विचार से बच जाते हैं्| हम चिंताओं, संदेहों, भ्रम और व्याकुलता से मुक्त एक शांत मन बनाए रखने में सक्षम होते हैं्| इस संतुलित अवस्था में हम जो भी रचनात्मक कार्य करेंगे, वह आध्यात्मिक रूप से उन्नत होगा| इसमें हृदय होगा|
रचनात्मकता यानि किसी चीज़ को बनाने या अस्तित्व में लाने की क्षमता है, फिर वो चाहे कोई नई विधि या उपकरण हो, या कोई नई कलात्मक वस्तु या रूप हो या फिर संगीत,नृत्य लेखन या अन्य कोई कला साधना| यह रचनात्मकता प्रेम के बगैर स्वाभाविकता और सहजता से अभिव्यक्त् नहीं हो् सकती| प्रेम और सृजनात्मकता एक-दूसरे से बहुत गहरे रूप से जुड़े हुए हैं फिर भी अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है|
लेकिन जब हम इन बिन्दुओं को जोड़ने के लिए समय निकालते हैं, और सहज योग ध्यान से जुड़ते हैं, तब हम उन आकर्षक तरीकों को जान सकते हैं जिनसे प्रेममय हो सृजनशीलता को प्रभावित किया जा सकता है और यह भी कि स्वाधिष्ठान चक्र प्रभाव से जीवंत कृतियों का निर्माण किया जा सकता है| सहज योग ध्यान हमारी चैतन्य से अभिभूत अन्य चक्रों के साथ स्वाधिष्ठान चक्र को भी उर्जावान करता है, ् जो कला से जुड़े सभी साधकों के लिए बहुत उपयोगी हो जाता है व् प्रेम तत्व जागृत होने से हम एक विनम्र, ईमानदार और जागरूक व्यक्ति बन जाते हैं्|
प्रेम कई तरह से रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रेरित कर सकता है| यह रचनात्मक परियोजनाओं के लिए प्रेरणा और प्रेरणा का स्रोत प्रदान कर सकता है, नए विचारों को प्रज्वलित कर सकता है, और रचनात्मक प्रक्रिया के लिए भावनात्मक जुड़ाव और समर्थन की भावना प्रदान कर सकता है| प्रेम भेद्यता की भावना भी ला सकता है, जो कला की अधिक ईमानदार और सार्थक अभिव्यक्तियों को जन्म दे सकता है| इसके अतिरिक्त, प्रेम आनंद और उत्साह की भावना ला सकता है जो रचनात्मक प्रक्रिया को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है| अंत में, प्रेम रचनात्मक अन्वेषण और जोखिम लेने के लिए एक सुरक्षित और सहायक स्थान बनाने में मदद कर सकता है|
तो चलिये सहज योग से जुड़ते् हैं –
*सहज योग निशुल्क भी है और आसान् भी* सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर १८०० २७०० ८००

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