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Sunday, May 18, 2025

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सहस्त्रार पर ही परमात्मा से एकाकारिता घटित होती है- सहज योग माध्यम

सहस्त्रार हमारे सुक्ष्म शरीर का सातवां चक्र है जिसका स्थान हमारे सिर के सबसे उपर तालु भाग में है।  यहाँ परमपूज्य श्री माताजी पार्वती और कल्की रुप में सदाशिव के साथ विराजमान हैं।  यह चक्र मूलाधार से आज्ञा चक्र तक के छ: चक्रों को नियंत्रित करता है या हम कह सकते हैं कि सहस्त्रार यदि हमारे अन्य छ: चक्रों में कोई असंतुलन आये तो उसे संतुलित कर देता है। सहस्त्रार चक्र के क्षेत्र को अंग्रेजी में लिंबिक एरिया कहते हैं। 
इस चक्र में एक हजार पंखुडियां‌ हैं व यहाँ का पुष्प कमल‌ है।  इस चक्र से ठंडी चैतन्यित हवायें प्रवाहित होती है।  सहज योग ध्यान‌ पद्धति से ध्यान करते हुये‌ साधक इस चैतन्य को महसूस करता है।   इस चक्र में सभी रंग हैं और यह चक्र सभी तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।  ध्यान के दौरान सहस्त्रार चक्र की स्थिति का अनुभव हमें हथेली के मध्य में होता है।
यदि हमें पूर्ण विश्वास ना हो और हमारी शुद्ध इच्छा ना हो तो यह चक्र जागृत नहीं होगा और हम चैतन्य की अनुभूति भी नहीं कर पायेंगे।   सहस्त्रार चक्र के जागृत होने पर मस्तिष्क में चैतन्य प्रवाहित होता है व मस्तिष्क अपेक्षाकृत अधिक अच्छी तरह से कार्य करता है।  सहजी बच्चों में इसका असर दिखाई देता है।
श्री माताजी निर्मला देवी सहस्त्रार चक्र की देवता है।  आदिशक्ति के रुप में उनके  इस अवतरण में वे सभी दिव्य गुणों को अपने अंदर समन्वित करती है और मुख्य स्त्रोत के रुप में क्रियाशील रहती है।    श्री माताजी ने  भारत के नारगोल, गुजरात के समुद्र के किनारे बैठकर सामुहिक सहस्त्रार खोला।  वे‌ सच्चे साधकों को और अधिक भटकते देखना सहन नहीं कर पा रही थी।  उन्होंने 5 मई  1970  को भारत में सामुहिक स्तर पर कुंडलिनी जागृत किया।  एक साल बाद 1971  में श्री माताजी मुट्ठी भर लोगों से आत्मसाक्षात्कार देना शुरू किया और  सहज योग का जन्म हुआ।  लोगों को आध्यात्मिक जागृति देने के लिए श्री माताजी ने पूरे संसार का भ्रमण किया।
यह आसान है” श्री माताजी कहती हैं, “आपको‌ पूरी तरह से, पूर्ण रुप में मुझे समर्पित होना होगा।   यदि आपको‌ लगता है आपका सहस्त्रार अब तक नहीं खुला है, तब आपको क्षमा मांग लेनी है।  आपको कहना है, ‘ यदि मैंने कुछ गलत किया है तो कृपया मुझे क्षमा कर दें, तब आप ठंडी चैतन्य लहरियां महसूस करेंगे। ‘
सहस्त्रार पर हम सत्य को जान सकते हैं।  सत्य को जानना और चैतन्य की अनुभूति पाना एक सुखद अनुभव है।   अत: चलिए सहज योग से जुड़कर इस अनुपम सुख का अनुभव पाते हैं।
*सहज योग निशुल्क भी है और आसान‌ भी* सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 वेबसाइट www.sahajayoga.org.in
निर्मला नायर
नागपूर (महाराष्ट्र
Mo.9422304934

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