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Sunday, May 18, 2025

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केवल आवश्यक इच्छाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही धन महत्वपूर्ण है ।* 

प्राचीन शास्त्रों में यह अच्छी तरह से स्थापित है कि संगठित समाज के निर्वाह के लिए या एक राष्ट्र कहें , ‘ धर्म ‘ यानी आचार संहिता ( protocol ) आवश्यक है । जैसा कि हम जानते हैं कि मनुष्य अपने ‘ धर्म ‘ के माध्यम से एक एकल कोशिका अमीबा से इस अवस्था तक विकसित हुआ है , *जो विकास के नियमों का महत्वपूर्ण कोड है* । यह संहिता हमारे आध्यात्मिक विकास का पोषण करती है । इन कानूनों का सचेत पालन मनुष्य के अस्तित्व और विकास के लिए मौलिक है। *तीसरे चक्र नाभी को कल्याण केंद्र ( Wellness Center ) भी कहा जाता है ।* स्वाधिष्ठान चक्र में रचनात्मक शक्ति से मनुष्य ने प्रकृति के संसाधनों को अपने लाभ के लिए उपयोग करने के साधन विकसित किए और इससे वह समृद्ध और धनवान बन गया । *समृद्धि के साथ धन का लोभ और भी बढ़ गया* । आवश्यक इच्छाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन महत्वपूर्ण है । यदि किसी के पास आवश्यक इच्छाओं को पूरा करने के साधन नहीं हैं तो वे प्राथमिकता बन जाते हैं । मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धन जुटाने का काम कर सकते हैं । लेकिन इस प्रक्रिया में व्यक्ति भौतिकवाद में खो जाता है । *अमीर होने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन समस्या पैसे के प्रति जुनूनी होने में है* । *कंजूसी और जमाखोरी धन के प्रवाह को रोकती है और स्वार्थी , आदिम मन की अभिव्यक्ति है जो जीवन के आधार की सच्चाई को नहीं जानता है* । *धर्म ,उदारता ,उचित व्यवहार , शारीरिक व भौतिक सुख , समाधान ( संतोष ) , वैभव *, भलाई समर्पण इस केंद्र की मुख्य धारा है । यह केंद्र सूक्ष्म शरीर में नाभि  के अक्षांश पर मौजूद है और स्थूल शरीर में इसे सीलिएक /सोलर प्लेक्सस ( coeliac / solar plexus ) द्वारा दर्शाया गया है* । इसकी 10 पंखुड़ियाँ हैं और यह जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। पीठासीन देवता श्री विष्णु और उनकी शक्ति देवी लक्ष्मी हैं । भौतिक पक्ष पर यह चक्र सीलिएक प्लेक्सस द्वारा आपूर्ति किए गए अंगों की देखभाल करता है जिसमे मुख्य पेट (Stomach) , प्लीहा ( Spleen ) , आंतों ( Intestine ) और यकृत (Liver) , अग्नाशय ( Pancreas ) हैं । भोजन के प्रति दृष्टिकोण और आप कैसे खाते हैं , यह पाचक रसों को प्रभावित करता है। *भोजन करते समय यदि कोई जल्दी में हो , क्रोधित हो या चिंतित हो तो भोजन का पाचन प्रभावित हो जाता है । लोग विभिन्न विकारों का विकास करते हैं । भोजन के बारे में बहुत अधिक सोचना भी नाभि चक्र को प्रभावित करता है।* 
     *नाभि चक्र के दाहिने भाग* *( Right side of solar plexus )* की गुणवत्ता भौतिक भलाई, वित्तीय व्यवस्था ( financial arrangement )
, व्यापार योजना, भविष्य के लिए वित्त ( finance ) और तर्क की भावना ( sense of logic )
 के क्षेत्र में हमारी कार्रवाई है । इसका प्रतिनिधित्व श्री राज – लक्ष्मी देवता द्वारा किया जाता है । यह शराब , खराब भोजन और बहुत अधिक चिकना भोजन से अवरुद्ध या प्रभावित होता है और यकृत  ( Liver ) खराब होने की समस्या हो सकती है ।
       इसके परिणामस्वरूप भविष्य की समस्याओं का सामना करने में असमर्थता होती है। लीवर खराब होने से स्वभाव चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता है , एसिडिटी (Acidity) , उष्णता के विकार होते हैं ।
 *नाभि चक्र का बायां भाग* *( Left  side of  solar plexus )*  पत्नी के प्रति अनादर , पारिवारिक चिंता , घर की चिंता , धन संबंधी चिंताएं ,  आक्रमक स्वभाव , अव्यवस्थित जीवनशैली , पत्नी से समस्या या घर में लगातार घबराहट , शराब  , दवाइयों का अधाधुंध सेवन गलत भोजन , भ्रष्टाचार , खाने के बारे में ज्यादा सोचने से ये चक्र प्रभावित होता है । इसकी अध्यक्षता  , श्री गृह-लक्ष्मी करती हैं । ज्यादा भार चक्र के बाईं ओर को कमजोर करता है और एक व्यक्ति एलर्जी (Allergy ) , चर्मरोग  (skin disease ) संबंधी विकारों की चपेट में आ जाता है । प्लीहा ( spleen ) दूषित होने से रक्त कैंसर ( blood cancer ) होने की संभावना होती है । अंधाधुंध उपवास भी इस चक्र को हानि पहुँचाता है ।
 *मनुष्य में जब ऊपर उठने की इच्छा होती है , तब नाभि चक्र का लक्ष्मी सिद्धांत महालक्ष्मी सिद्धांत बन जाता है ।* जब संपन्नता होती है , तो व्यक्ति लक्ष्मी सिद्धांत से ऊपर उठना चाहता है । जागरूकता में यह सौंदर्यशास्त्र ( Aesthetics ) को प्रभावित करता है यानी लोग संपत्ति के बजाय सौंदर्यशास्त्र के बारे में अधिक चिंता करते हैं । इस अवस्था में महालक्ष्मी सिद्धांत कार्य करना प्रारंभ कर देता है । *महालक्ष्मी विकास की शक्ति हैं और उन्हीं की शक्ति से हम मनुष्य बनने के लिए उठे हैं । वह उद्धारक है और वह हमें सर्वव्यापी शक्ति से जोड़ती है ।*
       आप उस सर्वव्यापी शक्ति से जुड़ने के लिए , अपना आत्मसाक्षात्कार  प्राप्त करने के लिए और सहजयोग से  संबंधित  अधिक जानकारी  के लिए निम्न साधनों का उपयोग कर सकते हैं । यह पूर्णतया नि:शुल्क ( free ) है ।
टोल फ्री नं – 1800 2700 800 वेबसाइट‌ – www.sahajayoga.org.in यूट्यूब चैनल – लर्निंग सहजयोगा , प्रति शनिवार , शाम 05:00 बजे ।
जय श्री माताजी ।

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